


अमोनीकरण: रासायनिक उद्योग में एक प्रमुख प्रक्रिया
अमोनीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से नाइट्रोजन गैस (N2) को अमोनिया (NH3) में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग अक्सर उर्वरकों, प्लास्टिक और अन्य औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोग के लिए अमोनिया का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। अमोनिया उत्पादन के लिए कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम हैबर-बॉश प्रक्रिया है, जिसमें उच्च तापमान पर नाइट्रोजन और हाइड्रोजन की प्रतिक्रिया शामिल है। लौह-आधारित उत्प्रेरक की उपस्थिति में तापमान और दबाव:
N2 + 3H2 → 2NH3 + 92 kJ/mol
यह प्रक्रिया 20वीं सदी की शुरुआत में विकसित की गई थी और तब से बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जा रहा है। अमोनिया उत्पादन के अन्य तरीकों में ओस्टवाल्ड प्रक्रिया, क्लाउड प्रक्रिया और अमोनिया-यूरिया चक्र शामिल हैं। रासायनिक उद्योग में अमोनियाकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि यह नाइट्रोजन का एक स्रोत प्रदान करता है जो कई उत्पादों के लिए आवश्यक है। हालाँकि, इसके कुछ पर्यावरणीय प्रभाव भी हैं, जैसे ग्रीनहाउस गैसों का निकलना और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग। परिणामस्वरूप, अमोनिया उत्पादन के लिए अधिक टिकाऊ तरीकों पर शोध चल रहा है।



