


पुनः स्कैनिंग क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है?
रीस्कैन किसी नेटवर्क या किसी विशिष्ट डिवाइस को दोबारा स्कैन करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है, ताकि अंतिम स्कैन के बाद हुए किसी भी बदलाव या अपडेट का पता लगाया जा सके। यह विभिन्न उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करके किया जा सकता है, जैसे नेटवर्क स्कैनिंग सॉफ़्टवेयर या भेद्यता स्कैनर।
रेस्कैनिंग का उद्देश्य संदर्भ के आधार पर भिन्न हो सकता है, लेकिन रीस्कैनिंग के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:
1. नए डिवाइस या सिस्टम की पहचान करना: दोबारा स्कैन करने से उन नए डिवाइस या सिस्टम का पता लगाने में मदद मिल सकती है जो पिछले स्कैन के बाद से नेटवर्क में जोड़े गए हैं।
2। मौजूदा उपकरणों में परिवर्तनों का पता लगाना: पुनः स्कैन करने से मौजूदा उपकरणों में परिवर्तनों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जैसे सॉफ़्टवेयर अपडेट या कॉन्फ़िगरेशन परिवर्तन।
3। कमजोरियों की पहचान करना: पुन: स्कैनिंग नेटवर्क या विशिष्ट उपकरणों पर संभावित कमजोरियों की पहचान करने में मदद कर सकती है, जिसका उपयोग उपचार प्रयासों को सूचित करने के लिए किया जा सकता है।
4। अनुपालन की निगरानी: रेस्कैनिंग का उपयोग नियामक आवश्यकताओं या सुरक्षा नीतियों के अनुपालन की निगरानी के लिए किया जा सकता है। कुल मिलाकर, रीस्कैनिंग नेटवर्क की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि सभी डिवाइस और सिस्टम अद्यतित हैं और सुरक्षित।



