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हिब्रू भाषा का इतिहास और महत्व

हिब्रू एक सेमिटिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति मध्य पूर्व में हुई और यह मुख्य रूप से इज़राइल में बोली जाती है। यह दुनिया की सबसे पुरानी जीवित भाषाओं में से एक है, जिसकी जड़ें बाइबिल के समय से जुड़ी हुई हैं। पूरे इतिहास में हिब्रू में कई पुनरुद्धार हुए हैं, सबसे हालिया 19वीं सदी के अंत में जब एक यहूदी भाषाविद् एलीएज़र बेन-येहुदा ने एक अभियान का नेतृत्व किया था। भाषा को बोली जाने वाली भाषा के रूप में पुनर्जीवित करें। आज, हिब्रू इज़राइल की आधिकारिक भाषा है और दुनिया भर में लगभग 9 मिलियन लोगों द्वारा बोली जाती है। हिब्रू को हिब्रू वर्णमाला का उपयोग करके दाएं से बाएं लिखा जाता है, जिसमें 22 अक्षर होते हैं। समय के साथ भाषा में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, हिब्रू का आधुनिक रूप यिडिश, अरामी और अन्य भाषाओं से प्रभावित है। हिब्रू का उपयोग धर्म, शिक्षा, मीडिया और सरकार सहित विभिन्न संदर्भों में किया जाता है। इसे यहूदी संस्कृति और विरासत से जुड़ने के तरीके के रूप में दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाया जाता है। कुल मिलाकर, हिब्रू एक समृद्ध और जटिल भाषा है जिसका लंबा इतिहास है और यहूदी लोगों के लिए इसका गहरा सांस्कृतिक महत्व है।

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