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गुरुत्वाकर्षण को समझना: प्रकृति की एक मौलिक शक्ति

गुरुत्वाकर्षण, जिसे गुरुत्वाकर्षण के नाम से भी जाना जाता है, प्रकृति की एक मौलिक शक्ति है जो द्रव्यमान वाली वस्तुओं को एक-दूसरे को आकर्षित करने का कारण बनती है। यह वह बल है जो ग्रहों को उनके तारे के चारों ओर कक्षा में रखता है, वस्तुओं को जमीन की ओर गिराता है, और आकाशगंगाओं को एक साथ रखता है। गुरुत्वाकर्षण एक सार्वभौमिक बल है जो ब्रह्मांड में सबसे छोटे उप-परमाणु कणों से लेकर सबसे बड़ी संरचनाओं तक द्रव्यमान वाली हर चीज को प्रभावित करता है। इसका वर्णन सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत द्वारा किया गया है, जिसे 20वीं सदी की शुरुआत में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा विकसित किया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण कोई बल नहीं है जो वस्तुओं के बीच कार्य करता है, बल्कि द्रव्यमान और ऊर्जा की उपस्थिति के कारण अंतरिक्ष-समय की वक्रता है। दो वस्तुओं के बीच गुरुत्वाकर्षण बल की ताकत उनके द्रव्यमान और उनके बीच की दूरी पर निर्भर करती है। वस्तुओं का द्रव्यमान जितना अधिक होगा और वे एक-दूसरे के जितने करीब होंगे, गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही मजबूत होगा। गुरुत्वाकर्षण अन्य मूलभूत बलों जैसे विद्युत चुंबकत्व और मजबूत और कमजोर परमाणु बलों की तुलना में एक कमजोर बल है, लेकिन यह हमेशा मौजूद रहता है और ब्रह्मांड में वस्तुओं के व्यवहार पर गहरा प्रभाव डालता है।

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