


डिफाइब्रिलेशन को समझना: प्रकार, उपयोग और जोखिम
डिफिब्रिलेशन एक चिकित्सा उपचार है जो उन लोगों में सामान्य दिल की धड़कन को बहाल करने के लिए बिजली के झटके का उपयोग करता है जिनके दिल की लय जीवन के लिए खतरा है। ये लय, जिन्हें अतालता कहा जाता है, हृदय को प्रभावी ढंग से धड़कना बंद कर सकती है और कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है। डिफाइब्रिलेशन उन असामान्य विद्युत संकेतों को बाधित करके काम करता है जो अतालता का कारण बन रहे हैं और हृदय को अपने सामान्य धड़कन पैटर्न को फिर से शुरू करने की अनुमति देता है।
डिफाइब्रिलेशन के दो मुख्य प्रकार हैं:
1. बाहरी डिफाइब्रिलेशन: इस प्रकार का डिफाइब्रिलेशन एक स्वचालित बाहरी डिफाइब्रिलेटर (एईडी) नामक उपकरण का उपयोग करके किया जाता है। एईडी को व्यक्ति की छाती पर लगाया जाता है और पैड पर इलेक्ट्रोड के माध्यम से बिजली का झटका दिया जाता है।
2. आंतरिक डिफाइब्रिलेशन: इस प्रकार का डिफाइब्रिलेशन सर्जरी के दौरान छाती में कार्डियोवर्टर-डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) नामक एक उपकरण को प्रत्यारोपित करके किया जाता है। आईसीडी को असामान्य हृदय ताल का पता लगाने और उसे ठीक करने के लिए प्रोग्राम किया गया है। डिफाइब्रिलेटिव थेरेपी का उपयोग विभिन्न प्रकार के जीवन-घातक अतालता के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिसमें वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन (वीएफ), पल्सलेस वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया (वीटी), और दिल के दौरे के कारण कार्डियक अरेस्ट शामिल है। अन्य शर्तें। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डिफाइब्रिलेशन केवल प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों द्वारा ही किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर इसे सही तरीके से नहीं किया गया तो यह खतरनाक हो सकता है।



