


मैनिचिज़्म को समझना: प्रकाश और अंधेरे का एक समन्वयवादी धर्म
मैनिचिज़्म एक धार्मिक और दार्शनिक आंदोलन है जिसकी स्थापना तीसरी शताब्दी ईस्वी में पैगंबर मणि (216-276 ईस्वी) द्वारा की गई थी। यह एक समन्वयवादी धर्म है जो पारसी धर्म, ईसाई धर्म, ज्ञानवाद और बौद्ध धर्म के तत्वों को जोड़ता है। मैनिचिज्म सिखाता है कि ब्रह्मांड दो मौलिक सिद्धांतों में विभाजित है: दिव्य और शैतानी। परमात्मा प्रकाश, अच्छाई और आध्यात्मिक दुनिया से जुड़ा है, जबकि शैतानी अंधकार, बुराई और भौतिक दुनिया से जुड़ा है। मनुष्य इन दो सिद्धांतों के बीच फंस गया है और उसे चुनना होगा कि किस पक्ष का पालन करना है। मैनिचिज्म आत्म-त्याग और तपस्या के महत्व के साथ-साथ ध्यान और आत्मनिरीक्षण के माध्यम से ज्ञान (आध्यात्मिक ज्ञान) की प्राप्ति पर भी जोर देता है। यह भौतिक दुनिया और मांस को शैतानी सिद्धांत की रचना मानते हुए खारिज कर देता है। मध्ययुगीन काल के दौरान मैनिचिज्म मध्य पूर्व और यूरोप में लोकप्रिय था, लेकिन अंततः इसे कैथोलिक चर्च और अन्य धार्मिक अधिकारियों द्वारा दबा दिया गया। आज, अधिकांश मुख्यधारा के ईसाई संप्रदायों द्वारा इसे विधर्म माना जाता है। हालाँकि, कुछ आधुनिक आध्यात्मिक साधकों ने ब्रह्मांड के द्वंद्व और आत्म-त्याग के महत्व पर इसकी शिक्षाओं में मूल्य पाया है।



